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Showing posts from March, 2016

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आध्यात्मिक अनुष्ठान

आर्थिक समृद्धि एवं सम्पन्नता के लिए उपाय ( १) यदि कोई भी व्यक्ति शुक्रवार को प्राण -प्रतिष्ठित सुमेरु पृष्ठ श्रीयंत्र को अपने घर के पूजा स्थान में स्थापित कर उसके सम्मुख घी का दीपक जलाकर ' श्रीसूक्त ' के नित्य 5 पाठ करे तो शीघ्र ही आर्थिक रूप से समृद्ध हो जाता है।   इसका प्रभाव ग्यारवें   शुक्रवार से ही दिखने लगता है। ( २) आर्थिक समृद्धि के लिए दीपावली की रात्रि को चांदी की एक डिब्बी में थोड़ी नागकेसर और शहद मिलाकर उसे लाल वस्त्र में बांधकर पूजा करके अपने पूजा स्थान में रख दें। नागकेसर आपको पंसारी की दुकान में मिल जायेगा।   ( ३) भोजन करने से पहले गाय , कुत्ते और कौए के लिए एक -२ रोटी निकाल दें।   ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक समस्या नहीं आएगी।   ( ५) बुधवार को गाय को हरी घास अवश्य खिलायें। इससे आपका व्यवसाय और अधिक उन्नति करेगा।   ( ६) पीपल के वृक्ष को नित्य जल दें। व उसकी गीली मिटटी से तिलक करें इससे आपके आय स्रोत बढ़ने लगेंगे।   ( ७) प्रत्येक बुधवार को गणेश मंदिर जाएँ।   गणेश जी को ३ गुलाब के पुष्प , ३ दूर्वा , १ जनेऊ ज...

ज्योतिषीय योग

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यश , प्रतिष्ठा एवं सम्मान दिलवाता है अमला योग अगर किसी जन्मपत्रिका में अमला योग है तो इस राजयोग के प्रभाव से व्यक्ति अपने उत्कृष्ट कार्यों द्वारा समाज में प्रतिष्ठित होता है।   ऐसा व्यक्ति अत्यंत गुणवान होता है तथा अपने जीवन काल में सम्पूर्ण सुखों को प्राप्त करता है।   आईये इस योग के बारे में विस्तार पूर्वक अध्ययन करते हें।   १. अगर जन्म पत्रिका में लग्न से दसवें भाव में कोई शुभ ग्रह ( बुद्ध , शुक्र , गुरु ) बैठा हो तो अमला योग का निर्माण होता है।   २. अगर चन्द्र लग्न से दसवें भाव में कोई शुभ ग्रह बैठा हो तो भी अमला योग बन जाता है।   चित्र संख्या १ के अनुसार जहाँ १ नंबर लिखा हुआ है वह जन्म कुंडली का लग्न भाव हुआ।   उस भाव से १० गिनने पर जहाँ १० नंबर लिखा हुआ है वह इस जन्म कुंडली का दशम भाव हुआ।   इस दशम भाव में शुक्र ग्रह बैठा हुआ है जो की एक शुभ ग्रह है।   अतः इस कुंडली में अमला योग बन रहा है।   जब भी व्यक्ति के ऊपर शुक्र की दशा आएगी वह जीवन की ऊचाईयों को निश्चित रूप से छुएगा। अमला योग वाला व्यक्ति उत्तम चरित...

गणेशाष्टक स्तोत्र

सर्व कार्य सिद्धि हेतु नित्य पढ़ें गणेशाष्टक स्तोत्र   श्री गणेश देवताओं के प्रधान देवता हैं। भगवान शिव द्वारा उन्हें वरदान प्राप्त हुआ था कि सभी शुभ एवं मांगलिक कार्यों को आरम्भ करने से पूर्व यदि   श्री गणेश का पूजन किया जायेगा तो कार्य निर्विघ्न संपन्न हो जायेंगे इसीलिए गजानन को विघ्नहर्ता , संकटनाशन कहा जाता है। श्री गणेश रिद्धि और सिद्धि के स्वामी हैं इसीलिए जिस घर में गणपति की नित्य आराधना होती है वहां रिद्धि और सिद्धि का स्थाई का स्थाई निवास होता है। संक्षेप में श्री गणेश की पूजा आराधना करने से आर्थिक धनलाभ , विद्या एवं बुद्धि प्राप्ति तथा संकटों   का नाश होकर समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यहाँ समस्त कार्यों की सिद्धि हेतु ' गणेशाष्टक स्तोत्र ' का उल्लेख किया जा रहा है। इसके नित्य पाठ करने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं।                                       ...

वडवानल स्त्रोत्र

कोर्ट -कचहरी मुकदमा या शत्रुओं पर विजय दिलवाता है वडवानल स्त्रोत्र   वडवानल स्त्रोत्र यदि आप कोर्ट -कचहरी , मुक़दमे से परेशान हैं या आपको शत्रु अकारण परेशान   कर रहे हैं तो नित्य प्रति सुबह नहाधोकर लाल वस्त्र पहनकर अपने घर पूजा स्थान में बैठ जायें तथा अपने सामने लकड़ी के पटरे पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर श्री हनुमान जी की फोटो स्थापित करें।   हनुमान जी को गुड चने का भोग लगाएं तथा सिन्दूर अर्पित कर धुप दीप दिखाकर संछिप्त पूजा कर लें।   इसके पश्चात वडवानल स्तोत्र के २१ जाप करें। पहले दिन २१ जाप करके आपको लगातार ४० दिन तक ११ पाठ करने हैं। इस स्तोत्र के पाठ करने से शत्रु शांत होते हैं व कोर्ट -कचहरी में मुक़दमे में विजय मिलती है।   सर्वप्रथम दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प ले। श्री गणेशाय नमः।   ॐ अस्य श्री हनुमद वडवानल स्तोत्र मन्त्रस्य।   श्री रामचन्द्र ऋषिः। श्रीवडवानल हनुमान देवताः मम समस्त रोग प्रशमनार्थ आयु रा रोग्यैश्ववर्याभिवृद्धयर्थ समस्त पापक्षयार्थ सीता रामचन्द्र प्रीत्यर्थच हनुमद वडवानल स्तोत्र जपमहं करिष्ये। हाथ के जल को दा...

सरस्वती स्तोत्र

विद्या में सफलता के लिए नित्य पढ़ें सरस्वती स्तोत्र यदि आप   विद्या के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो कठिन परिश्रम , नियमित अभ्यास के साथ - २ निम्नलिखित सरस्वती स्तोत्र का भी नियमित एक बार पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ करने से बुद्धि तीव्र हो जाती है और एकाग्रता बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप आप परीक्षा में आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।     इस स्तोत्र को किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के बुद्धवार से आरम्भ करके रोज एक बार पढ़ना चाहिए।     दोहा : जनक जननि पदम् दुरज , निज मस्तक पर धारि। बन्दौ मातु   सरस्वती बुद्धि बल दे दातारि ।।   पूर्ण जगत में व्याप्त तब , महिमा अमित अनन्तु। राम सागर के     पाप को , मातु तुहिं अब हन्तु ।।   जय श्री सकल बुद्धि बल रासी , जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी। जय जय जय वीणाकर धारी , करती सदा सुहंस सवारी ।। रूप चतुर्भुज धारी माता , सकल विश्व अन्दर विख्याता। जग में पाप बुद्धि जब होती , तबहिं धर्म की धीकी ज्योति ।। तबहिं मातु का निज अवतारा , पापहीन करती महि फारा। बाल्मीकि जी थे हत्यारा , तव ...

चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र

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चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र से बढ़ाएं अपनी नेत्र ज्योति एवं दूर करें नेत्र विकार      अगर आपकी नेत्र ज्योति कमजोर है और बचपन में ही आपको चश्मा पहनना पड़   गया है तो इस चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र के नियमित जप से आप भी अपनी नेत्र ज्योति ( Eye Sight)  ठीक कर सकते हैं।   यह चाक्षुषोपनिषद स्तोत्र इतना प्रभाव शाली है की यदि आपको आँखों से सम्बंधित कोई बीमारी है तो अगर एक ताम्बे के लोटे में जल भरकर , पूजा स्थान में रखकर उसके सामने नियमित इस स्तोत्र के २१ बार पाठ करने के उपरान्त उस जल से दिन में ३-४ बार आँखों को छींटे मारने पर कुछ ही समय में नेत्र रोग से मुक्ति मिल जाती है।   बस आवश्यकता है , श्रद्धा , विश्वास एवं अनुष्ठान आरम्भ करने की।   आईये इस स्तोत्र   को जानते हैं।   किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष   रविवार को सूर्योदय के आसपास आरम्भ करके रोज इस स्तोत्र के ५ पाठ करें।   सर्वप्रथम भगवान सूर्य नारायण का ध्यान करके दाहिने हाथ में जल , अक्षत , लाल पुष्प लेकर विनियोग मंत्र पढ़े।   विनियोग मंत्र : ॐ अस्याश्चाक्षुषीविद्याया अहिर...