गणेशाष्टक स्तोत्र

सर्व कार्य सिद्धि हेतु नित्य पढ़ें गणेशाष्टक स्तोत्र 
श्री गणेश देवताओं के प्रधान देवता हैं। भगवान शिव द्वारा उन्हें वरदान प्राप्त हुआ था कि सभी शुभ एवं मांगलिक कार्यों को आरम्भ करने से पूर्व यदि  श्री गणेश का पूजन किया जायेगा तो कार्य निर्विघ्न संपन्न हो जायेंगे इसीलिए गजानन को विघ्नहर्ता, संकटनाशन कहा जाता है। श्री गणेश रिद्धि और सिद्धि के स्वामी हैं इसीलिए जिस घर में गणपति की नित्य आराधना होती है वहां रिद्धि और सिद्धि का स्थाई का स्थाई निवास होता है। संक्षेप में श्री गणेश की पूजा आराधना करने से आर्थिक धनलाभ, विद्या एवं बुद्धि प्राप्ति तथा संकटों  का नाश होकर समस्त कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। यहाँ समस्त कार्यों की सिद्धि हेतु ' गणेशाष्टक स्तोत्र ' का उल्लेख किया जा रहा है। इसके नित्य पाठ करने से आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त होते हैं। 
                                                                   गणेशाष्टक स्तोत्र 
                                                                        सर्वे ऊचुः 
यतोअनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवा यतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते। यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नं सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्त्थाब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता। तथेन्द्रादयो देवसंघा मनुष्याः सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतो वहिनभानुद्भवो भूर्जलं च यतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः। यतः स्थावरा जंगमा वृक्षसंघा सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतो दानवाः किंनरा यक्षसंघा यतश्चारणा वारणः श्वापदाश्च। यतः पक्षिकीटा यतो  वीरूधश्च सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतो बुद्धिर्ज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यताः सम्पदो भक्तसंतोषिकः स्युः। यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिः सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतः पुत्रसम्पदः यतो वाञ्छितार्थो यतोभक्तविघ्नास्तथानेकरूपाः। यतः शोकमोहौ यतः काम एव सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतोनन्तशक्तिः स शेषो बभूव धराधारणेअनेकरूपे च शक्तः। यतोअनेकधा स्वर्गलोका हि नाना सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिः सदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति। परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतं सदा तं गणेशं नमामो भजामः ।। 
                                                       श्री गणेश उवाच        
पुनरूचे गणाधीशः स्तोत्रमेतत्पठेन्नरः। त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्य सर्व कार्यं भविष्यति ।। 
यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम। अष्टवारं चतुर्थ्याम् तु सोअष्टसिद्धिरवाप्नुयात् ।।
यः पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने। स मोचयेद्वंधगतम् राजवध्यं न संशयः ।।
विद्याकामो लभेदिविद्या पुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात्। वांछितांल्लभते सर्वानेकविंशतिवारतः ।।
यो जपेत् परया भक्त्या गजाननपरो नरः। एवमुक्त्वा ततो देवश्चन्तर्धानं गतः प्रभुः ।।
                               । । इति श्रीगणेश पुराणे श्री गणेशाष्टकं सम्पूर्णं । ।

 मुख्य शब्द : गणेशाष्टक स्तोत्र, गणेश स्तोत्र, कामना सिद्धि स्तोत्र , वैदिक अनुष्ठान, आध्यात्मिक अनुष्ठान  

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